पलटे हुये टेंकर की कहानी, पुलिस की पड़ताल पूर्णता की पहुंच से परे - सूत्रो के समीकरण सात।





अगस्त माह में केमिकल से भरा एक टेंकर शाम के समय अनियंत्रित हो कर थांदला क्षेत्र के गांव बड़ी धामनी में पलट गया। 
केमिकल से भरे टेंकर में हलचल हुई और धुआं निकलने लगा, आसपास के ग्रामीण घबराये और तत्काल पुलिस को सूचना दी साथ ही राजस्व विभाग से तहसीलदार भी सूचना के सहारे घटना स्थल पर पहुंचे। टेंकर से बह कर केमिकल ने कुछ खेतों में प्रवेश किया और फसलो फसलो पर अपने प्राण घातक प्रभाव को छोड़ा। 
किसानो ने इस नुकसान की भरपाई के लिये अगले दिन तहसील कार्यालय में दस्तक दी मगर उनके हाथ निराशा लगी। इधर पुलिस की कार्यवाही में सुस्ती के चलते कोई कदम नहीं उठाये गये। यहां तक की पुलिस ने एफआईआर भी घटना समय के करीब-करीब सात दिन के बाद की। 
किसानो को बहे हुये केमिकल से जो नुकसान हुआ उसे पाने के लिये जब चक्कर लगे तो केमिकल से भरे टेंकर से सम्बन्धित लोगों ने किसानो से समझोते की बात समाने रखी। इस बारे में सूत्र बताते है कि थाना थांदला के प्रभारी ने बीच में आ कर समझौता करवाया।


इस मामले में जब किसानों के मुआवजे की बात हुई तब थांदला एसडीओपी ने बताया था कि थांदला तहसीलदार सब कुछ देख रहे है, मगर जब थांदला तहसीलदार बघेल से जानकारी ली गायी तो उन्होने बताया कि, टेंकर पलटने की घटना पर हम जरुर गये थे और अगले दिन किसान अपनी फसल के नुकसान के  मुआवजे के लिये आये थे। शासन के अनुसार प्राकृतिक आपदा से हुये नुकसान का मुआवजा दिया जाता है। जब किसान आये थे तब केमिकल से जुड़े व्यक्ति का वहां आना हुआ और किसानों और उनके बीच बात हुई जो की थांदला थाना प्रभारी के समक्ष हुई थी। 
लेकिन वो केमिकल से जुड़े व्यक्ति कौन थे जो किसानों से मिले इसकी जानकारी थांदला तहसीलदार को बिल्कुल भी नहीं है जबकि उन्होनें ही स्वयं उन लोगों को आपस में समझोत करने के लिये मशवरा दिया। 


इस संबंध में थाना थांदला के प्रभारी का कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ अगर केमिकल से जुड़े लोगों का किसानो से समझौता हुआ होता तो एफआईआर नही लिखी जाती।
लेकिन एफआईआर भी घटना के सात से आठ दिन के बाद की गई। 
थाना प्रभारी ने राजकुमार कुंसारिया ने बताया कि मामले में जांच के लिये जो सेम्पल दिया गया है उसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है और इस मामले में जांच निष्पक्षता से की जायेगी। 
मगर पुलिस अभी तक यह भी पता नहीं कर पाई की केमिकल से भरा टेंकर कहा से या कौन सी फेक्ट्रि से आ रहा था जबकि जग जाहिर है की केमिकल से भरे टेंकर कहा से आते है और किस किस केमिकल की कम्पनी के हैं।
पुलिस अभी तक वाहन मालिक को थाने में ला नहीं पाई वही केमिकल कम्पनी के ट्रांसपोर्ट वालों तक नहीं पहुंच पाई। 


हालांकि वाहन मालिक प्रमोद पिता शिवाजी का कहना है कि दो लोगों ने उसके तीन वाहनो को ले रखा है अब वे क्या करते है इसकी खबर प्रमोद को कुछ भी नहीं है। प्रमोद का तो यह भी कहना है कि कई महिनो से उसे वहानो का किराया भी नहीं दिया गया है। 
सभी की सारी बातें गोलमाल करती प्रतीत होती है। जिस केमिकल की वजह से पुरा मेघनगर और ग्रामीण क्षेत्र परेशान है केमिकल से होने वाली बीमारी से त्रस्त है उस केमिकल की जांच में पुलिस प्रशासन पस्त सा प्रतित हो रहा है। 

बहरहाल पुलिस की पड़ताल पूर्णता की पहुंच से परे और केमिकल के खेल की गुत्थि जनता को नुकसान से बचाने के लिये जानना जरूरी है। जिस केमिकल के वेस्ट से जनता स्वच्छ जीवन के लिये जाद्दोजहद कर रही है उसके प्राण घातक प्रभाव को खत्म करने के लिये पुलिस को जेब से हाथ को बाहर निकालना होगे। 

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