सेम्पल पर समाधान- पुलिस एक दुकान से सेम्पल लेकर थपथपा रही खुद की पीठ- अवैध बूचड़खाने पर नहीं पड़े नगर पालिका के सख्त कदम- जेब पर अटकी पुलिस की नज़र। सोमवार सुबह के बाद एक समझौता।


सेम्पल पर समाधान- पुलिस एक दुकान से सेम्पल लेकर थपथपा रही खुद की पीठ- अवैध बूचड़खाने पर नहीं पड़े नगर पालिका के सख्त कदम- जेब पर अटकी पुलिस की नज़र। सोमवार सुबह के बाद एक समझौता।

सूचना पर पुलिस सोमवार को कैलाश मार्ग की तरफ दौड़ी और अवैध रूप से चल रहे पाड़ा कटिंग और मांस बिक्री पर कार्यवाही करने लगी। शहर में इस बात की बात होने लगी, मगर पुलिस की कार्यवाही फुस्सी बम की तरह निकली।
फुस्सी बम डराने में सब को डरा देता है लेकिन जब बारूद सुरसुरी कर निकल जाता है उसके बाद देखने वाले सभी लोग फुस्सी बम का मखौल उडाते हैं। 
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार जब  अवैध बूचड़खाने पर पुलिस कार्यवाही के लिये निकली तो एक दुकान पर कार्यवाही हुई जहां से पुलिस ने जांच के लिये सेम्पल भी लिया। पुलिस ने कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नहीं किया है। जबकि जिस क्षेत्र से पाड़े के मांस का सेम्पल लिया उसी क्षेत्र में करीब-करीब 5 से 7 दुकानें और भी संचालित हो रही है। पुलिस की नज़र उन दुकानों पर नहीं गयी। 
मामले में कोतवाली प्रभारी ने बताया कि, जांच जारी है, नगर पालिका और संबंधित विभाग से अनुमति के लेटर मांगे जायेगे। 


नगर पालिका झाबुआ के पीछे प्रतिदिन आधा दर्जन से ज्यादा पाड़ो को काटा जाता है और उनका मांस बेचा जाता है। नगर पालिका इस मामले में कोई सख्त कदम नहीं उठती, बीते दिन की भी कार्यवाही में नगर पालिका के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पुलिस की कार्यवाही में उनकी सहभागिता थी मगर मौके पर पहुंचने से पहले ही दुकाने हटा ली गयी थी। 

विवादो में चल रहा भैस और पाड़े के काटने साथ ही मांस बिक्री के अवैध काम में बहुत सी बार विवाद होता रहा है यहां तक की अनेको बार मारपिट की घटना भी होती रही है। 
सोमवार को भी कुछ इस तरह विवादित घटना घटी जिसमें विवाद इस हद तक बड़ा कि मामले में समझौता करना पड़ गया। 
सूत्रों के मुताबिक पाड़े के मांस विक्रेता का विवाद ग्रामीण से हो गया जो की मारपिट तक पहुंचा उसके बाद करीब-करीब 35 से 40 ग्रामीणो ने घटना स्थल पर जा कर  झगड़े को समझा और अवैध पाड़े के मांस विक्रेता के विरुद्ध थाना कोतवाली में जा कर रिपोर्ट करने की बात कही। करीब 3 घंटे तक चली बहस में थाने नहीं जा कर समझौता करने की बात पर वजन दिया गया। 
विवाद का समझौता 1 लाख से चल कर लगभग 35 हजार पर आ कर रुक गया। उसके बाद अवैध मांस विक्रेता के विवाद में स्थिरता आई। 

हालांकि, पुलिस ने जो एक दूकान पर कार्यवाही की है वह भी योजनान्तर्गत की है। खबर तो यह भी है कि अवैध मांस विक्रेताओं को पुलिस के पहुंचने से पहले ही सूचना मिल गयी थी दुकाने बन्द करने के लिये। इसलिये अवैध पाड़ा मांस विक्रेताओं ने यह योजना बनाई कि जिसके पास कुछ अनुमति है उसे सामने लाया जाय, ताकि कार्यवाही का नाम भी हो जाये और जवाब देने का काम भी हो जाये।

बहरहाल न नौ मण तेल होगा न राधा नाचेगी, पुलिस दस्तावेजो के झूले में झूल कर कार्यवाही को किनारा कर देगी। नगर पालिका का आंगन तो पहले से ही टेड़ा है। क्युंकि आंखों में माया की चकाचौंध से अवैध कार्य की ओर देख पाना उन जिम्मेदारों के लिये मुमकिन नहीं है। 
कार्यवाही में सच्चाई की अच्छाई को पाना है तो पुलिस के वरिष्ठ अधिकारीयों को इस पाड़े की अवैध कटाई और अवैध मांस बिक्री की तरफ सीना तान करके देखना होगा आन्यथा मूक पशुओं पा दरिंदगी की धार दिन दुनी रात चौगुनी चलती रहेगी। 

विज्ञापन एवं समाचार के लिये सम्पर्क करें- रविन्द्र सिंह झाला 9826223454, 9769354944।

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