भाजपा अपने अस्तित्व के आधार को मजबूत करने के लिये अपने हर कदम को बहुत ही विचार विमर्श कर आगे बढ़ा रही है।
पिछ्ली बार जब भाजपा ने अचानक ही विधानसभा क्षेत्र के 39 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी तो पूरे प्रदेशभर में हलचल सी मच गयी विपक्ष पार्टिया लालबूझ्क्कड़ की तरह हाथी के पेर के निशां को बता रहे थे कि कोई हिरण पैर में चक्की बांध कर आया होगा।
इस बार भी भाजपा बहुत ही जल्द एक और विधानसभा उम्मीदवारो की सूची जारी करने वाली है संभवतः जिसमें झाबुआ-अलीराजपुर क्षेत्र की बची हुई सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा तय हो।
जानकारी के अनुसार जब भोपाल में पिछ्ली बैठक की गयी थी उसके अनुसार 10 सितंबर को या उसके बाद कभी भी प्रदेश की कुछ सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा हो सकती है। इसके चलते ही झाबुआ में भी जिलाध्यक्ष में बदलाव किया है।
झाबुआ में जब पहली सूची के बारे में पता चला था तब सभी भाजपाइयों में हर्ष था क्युंकि जिलाध्यक्ष भानू भूरिया का नाम विधानसभा उम्मीदवार के लिये भाजपा के वरिष्ठो ने तय कर लिया था, मगर अंदर ही अंदर कुछ लोगों को यह रास नहीं आया और विरोध तेज होते होते फुट पड़ा कुछ भाजपा के लोगों ने मिल कर वाहन रैली निकली और भानू भूरिया के नाम को हटाने की मांग की।
भाजपाईयों की एक टुकड़ी ने कहा की भानू जिलाध्यक्ष भी है तो उसे विधानसभा उम्मीदवार बनना है तो भाजपा जिलाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना होगा।
इस सम्बंध में भानू भुरिया ने कहा था मैं स्वयं यह निर्णय नहीं ले सकता हुं। इस बारे में संगठन जो भी दिशा निर्देश देगा मैं उसका निष्ठा से पालन करूँगा। जिसके बाद प्रदेश मुखिया ने भी झाबुआ में आ कर भानू भूरिया के कंधे पर हाथ रखते हुये जिलाध्यक्ष के पद से मुक्त होने की बात कही थी और जनता से अपील की थी कि भानू भूरिया को जितना है। लेकिन अभी भी कुछ भाजपायी है जो मन में विरोध का मसाला दबाये हुये बैठे है। ये वे लोग है जब चुनाव आयेगा तो मतदाताओ के कान में कांग्रेस की फूँक मारेगे। मन मुटाव और विरोध के चलते ये भूल जाते है कि ये खुद अपने पैरो पर कुल्हाडी मार रहे है।
हालांकि चुनाव को देखते हुये भाजपा संगठन ने स्थिति का जायजा लेते हुये भानू भूरिया को जिलाध्यक्ष के पद से मुक्त कर झाबुआ जिले को कुछ महिनों के लिये एक कार्यवाहक जिलाध्यक्ष दिया है।
प्रवीण सुराना जिले के लिये नये कार्यवाहक अध्यक्ष रहेगे जो पार्टी के प्रति धर्मशीलता के साथ सत्य रक्षा करते हुये हर कार्य को निष्ठा के साथ पूर्ण करेगे।
जिले में भाजपा की जड़ तक की जानकारी रखने वाले बताते है कि, पार्टी में गुटबाजी की राख में अभी भी बहुत अंगारे है जिसकी वजह से ही प्रवीण सुराना को जिले का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया है।
जानकार बताते हैं कि 2004-2005 में जनपद के चुनाव में भाजपा का कांग्रेस से समझौता हुआ था जिसकी कहानी में बहुत से राज आज भी दफन है। उस वाक्ये में आये एक मोड़ के कारण वर्तमान में बने भाजपा के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष ने कांग्रेस को छोड़ भाजपा का दामन थमा था। कांग्रेस और भाजपा के समझौते के अनुसार जनपद अध्यक्ष कांग्रेस का होना था और जनपद उपाध्यक्ष भाजपा का। कांग्रेस की चाल में उस वक्त कांग्रेस के ही प्रवीण सुराना फंस गये मगर उसके बाद भाजपा के वरिष्ठ की शरण में जा कर भाजपा में आने का निर्णय लिया और प्रवीण सुराना भाजपा में आ कर भाजपाई हो गये।
दरअसल भाजपा के समर्पितो के मन में सवाल उठता है कि क्या भाजपा के पास संगठन पर समर्पित ऐसा कोई नही है जो भाजपा को संगठित कर सही दिशा में ले चले, भाजपा अंतत: उन पर ही क्यूं अधिक विश्वास कर रही है जो कांग्रेस या अन्य पार्टी से भटक कर भाजपा में बस गये।
बहरहाल मुंगेरीलाल के सपने से उभरना आसान नहीं होता इससे बेहतर है ऐसे किसी स्वप्न को आंखों में पलने ही नहीं दिया जाये। जो गुट अपने मनसुबो के फिर से रोपण के लिये तैयार हो रहा है उसे यह समझना अति आवश्यक है कि भाजपा ने जिले को भाजपा जिलाध्यक्ष नही बल्कि भाजपा कार्यवाहक जिलाध्यक्ष दिया है।
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