सरदारपुर जो की धार जिले की तहसील है उसी क्षेत्र की ग्राम पंचायत वडलीपाड़ा के गांव भंवर कुंड में चुनार डेम को सिंचाई विभाग ने 2017-2018 में निर्माण किया था।
बीते दिनों तेज बारिश के कारण गुरुवार शुक्रवार की दरमियानी रात को डेम के स्लूज गेट के पास मिट्टी धंस गई और वहां 10 फीट का गड्डा हो गया।
वही डेम के पानी को सुनार नदी में छोड़ा जाता है। धार जिले के क्षेत्र में बना डेम झाबुआ जिले के भी बहुत से गांव को सिंचाई में मदद करता है।
अब डेम के स्लूज गेट पर गड्डा होने से लोगों में तालाब के फुट जाने का भय बढ़ने लगा।
शुक्रवार सुबह चौकीदार ने गड्डा देख सीधे वरिष्ठ अधिकारीयों को सूचित किया। धार जिले के अधिकारियों के साथ झाबुआ जिले के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और माछ्लीया गांव से लगे अन्य गांवो में अलर्ट कर दिया। क्युंकि डेम का सारा पानी सुनार नदी में छोड़ा जाता है और सुनार नदी धार क्षेत्र से माछ्लीया गांव में आ कर झाबुआ में प्रवेश करती है।
झाबुआ एसडीएम ने बताया कि, खतरे का अहसास होते ही अलर्ट जारी किया था और धार जिले के सम्बधित अधिकारी जैसे सिंचाई विभाग के एसडीओ, सरदारपुर एसडीएस, तहसीलदार और भी अन्य अधिकारी के साथ रामा तहसील के तहसीलदार भी मौके पर पहुंचे और गड्डे को मुहरम से भर दिया।
हालांकि 5वर्ष पहले बने 10 करोड़ के इस तालाब में 15 करोड़ मुआवजे के भी जुड़े हुवे हैं। अधिकारियों के अनुसार खतरा अब टल चूका है, मगर क्या गड्डे को मुहराम से भर देने भर से खतरे की चिंता को खत्म माना जा सकता है। मिट्टी धंसने के कई कारण हो सकते है क्या प्रशासन सुरक्षा के पूरे इंतजाम के साथ मिट्टी धंसने के कारणों का पता लगा कर उसकी समस्या का पूर्ण समाधान करेगा?
बहरहाल प्रशासन की जुबानी खतरा अब नहीं है मगर ग्रामीणों में एक अंजाना भय मंडरा रहा है। प्रशासन ने सुरक्षा के इंतजामात किये है लेकिन ऐसा न हो कि मिट्टी धंसने के उस कारण तक वो पहुंच न पाये हो और बारिश की मार से मिट्टी फिर से धंस जाये। यदि ऐसा हुआ तो धार जिले के डेम से जो नुकसान झाबुआ जिले को होगा उसका जिम्मेदार कौन होगा? धार जिला प्रशासन या झाबुआ जिला प्रशासन?
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