गुजरात चुनाव बस अब होने ही वाले है। ऐसे में मध्यप्रदेश के बहुत से नामी नेता वहां की कमान संभालने के लिये झाबुआ के रास्ते गुजरात में जा रहे हैं। जिले के भी अनेक नेता गुजरात में चुनावी रण के मद्देनजर जा रहे हैं।
गुजरात चुनाव को लेकर झाबुआ जिले में अच्छी खासी हलचल मची हुई हैं। क्युंकि राज्य की सीमा के कारण बहुत से लोग चिर-परिचित है रिश्तेदार हैं। फिर खास बात यह कि सीमा क्षेत्र होने की वजह से बहुत से अपराध यहा जन्म लेते है और नेताओ के संरक्षण में पनपते हैं।
जुआ और सट्टा बाजार भी बहुत जोरो शोरो से चलता है जुआ खिलाड़ी कभी झाबुआ जिले में तो कभी गुजरात के शहरों में जाते हैं।
बहुत से अपराधी भी छुपने के लिये सीमा के समीप के गांव में शरण लेते हैं तो इस रास्ते ऐसे बहुत से अवैध और आपराधिक मामले पनपते हैं जिन पर अंकुश लगना अभी तक किसी भी तरह से भी चाहे वो राजनैतिक हो या चाहे प्रशासनिक हो संभव नहीं हो पाया हैं। क्युंकि सारे अपराधिक और अवैध मामलो में अप्रत्यक्ष रूप से राजनैतिक और प्रशासनिक बाशिंदे घुले मिले रहते हैं।
सीमा के पार गुजरात में शराब बंदी होने के कारण मध्यप्रदेश की शराब अवैध रूप से जिला झाबुआ और अलीराजपुर के जंगल के रास्ते गुजरात के बहुत से ठिकानों पर जाती हैं। जिसे पार लगाने में सीमा के इस पार के और सीमा के उस पार के लोग शामिल होते हैं।
पुलिस या आबकारी विभाग खानापूर्ति करने के लिये कुछेक केस बना कर जेब में हाथ डाल कर बैठ जाते हैं। और इधर की शराब आसानी से उधर हो जाती हैं।
हालांकि गुजरात चुनाव के मद्देनज़र 29 सितम्बर 22 को एक बैठक आयोजित की गयी थी जिसमें झाबुआ दाहोद अलीराजपुर के कलेक्टर और एसपी सहित बहुत से अधिकारी मौजूद थे। जिसमें यहीं तय किया गया कि चुनाव समय में सीमा क्षेत्र में अवैध और आपराधिक कार्यों पर अंकुश लगाई जाये।
बहरहाल, समझदार को इशारा ही काफी होता है। खाकी ने सीमा पर चेकींग शुरू कर दी है लेकिन गांव के रास्ते अभी भी सुने हैं। फिर जो मादक पदार्थ जिले की सीमा के गुजरात राज्य में जाना है वो तो पहले ही संरक्षण में पहुंच गये। अब लाठी पीट पीट कर दिखाया जा रहा है कि साप को यहां आने ही नहीं दिया वरन उसे तो भगा दिया।
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