कलेक्टर कान्फ्रेंस में प्रदेश मुखिया शिवराजसिंह चौहान जिले में हो रही भ्रष्टाचार की शिकायतों पर नाराज हुये। जिले में जो खेल सामग्री सप्लाई का कार्य हुआ है। उसमें बहुदा लापरवाही की गयी हैं। गुणवत्ताहीन सामग्री को बहुत ज्यादा कीमती बता कर उसकी सप्लाई की गयी थी।
मामले में 2 BRC और 9 CSC को निलम्बित किया गया हैं, जिन पर सरकारी कार्यवाही की जा रही हैं। उनको नोटिस दिया जायेगा फिर जवाब तलब किया जायेगा और फिर कर्मचारियो पर लापरवाही किये जाने का ठप्पा लगा कर बहाल कर दिया जायेगा।
ऐसे ही फार्मों को ब्लेक लिस्टेड किया गया है फिर डीपीसी ने स्वयं जा कर फर्मो पर एफआईआर करवाई है। अब जिन फर्मों पर एफआईआर डीपीसी ने करवाई है डीपीसी को न तो उनके नाम पता है न ही फर्मो के प्रोपराइटर के नाम पता हैं। दरअसल जब डीपीसी से उन फर्मो के नाम पुछे गये जिन पर एफआईआर दर्ज करवाई गयी तो डीपीसी अटक अटक कर बताते हुये असमर्थ हो गये, क्युंकि डीपीसी को चलाने वाले APC ने आंखों ही आंखों में इशारे से फार्मों के नाम बताने के लिये मना कर दिया।
ये वही एपीस है जो कि वर्तमान में डीपीसी पर पूरी तरह से कब्जा जमाये हुये हैं। कहते तो यह भी है कि जिधर एपीसी ने इशारा किया डीपीसी की चाल उस दिशा की हो जाती हैं।
इन इशारो और चालो के बारे में भी अलगे अंक में खुलासा किया जायेगा।
हालांकि, खेल सामाग्री संस्था प्रमुख को करनी थी मगर अधिकारीयों की मिलीभगत से खेल ऐसा रचा कि फार्मों ने खरीदी कर खराब और सस्ती खेल सामग्री खरीद कर सप्लाई कर दी।
बहरहाल, दाग हर किसी के दामन में है, जिले में भ्रष्टाचार की यह तो वह परत उजागर हुई है जिसमें सप्लाई का पैसा बंटा नहीं। फिर इस मामले की आड़ में और भी अनेक मामले है जिनमें आसानी से अधिकारीयों ने मिलजूल कर सरकारी पैसों को हजम किया हैं।
युं तो इस मामले में पुलिस विवेचना कर रही है और जिस फर्म पर एफआईआर हुई है उसके प्रोपराइटर को गिरफ्तार भी करेगी।
झाबुआ में कटारिया बुक सेंटर और सूरजमल ऐंड संस पर एफआईआर हुई है जिनके प्रोपराइटर बाजारों में बैखोप बिंदास और निर्लज घूम फिर रहे हैं।
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